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राशन की कालाबाजारी पर शासन सख्त

-गरीबों के हिस्से का गेहूं व चावल बाजार में बेचने पर होगी कार्रवाई

गाजियाबाद: राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकारी स्तर पर प्रभावी रणनीति तैयार की गई है। जरूरतमंदों को उपलब्ध कराने की बजाए खुले बाजार में गेहूं व चावल बेच दिए जाने की शिकायत पर शासन ने गंभीर रूख अपनाया है। सूबे के खाद्य एवं रसद अनुभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिला पूर्ति अधिकारी को पत्र भेजकर सात बिंदुओं पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जनपद में खाद्यान्न वितरण की सभी स्तरों पर निगरानी करने पर जोर दिया गया है। उप्र में राष्टीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के प्राविधान विगत एक मार्च 2016 से लागू कर दिए गए हैं। नतीजन अंत्योदय तथा पात्र गृहस्थी श्रेणी के लाभार्थियों को 2 रुपए प्रति कि.ग्राम. गेहूं तथा 3 रुपए प्रति कि.ग्राम. चावल का वितरण कराया जाता है। शासन के संज्ञान में आया है कि सभी लाभार्थियों को उनके हक का खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है।

जिला पूर्ति अधिकारी को भेजे पत्र में खाद्य एवं रसद अनुभाग के अपर मुख्य सचिव कुमार अरविंद सिंह देव ने कहा है कि सरकारी राशन को खुले बाजार में बेचे जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। यह स्थिति अत्यंत गंभीर है। लिहाजा कुछ जरूरी बिंदुओं पर कार्य करने की जरूरत है। अपर मुख्य सचिव देव ने पात्र लाभार्थियों को उनकी पात्रता के अनुसार देय खाद्यान्न का शत-प्रतिशत वितरण सुनिश्चित करने, खाद्यान्न के उठान, वितरण एवं त्रिस्तरीय सत्यापन की व्यवस्था का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने, सतर्कता समितियों की नियमित बैंठकें कराने, खाद्यान्न वितरण की सभी स्तरों पर निगरानी रखने, खुले बाजार में खाद्यान्न बिकता मिलने पर तुरंत पुलिस में एफआईआर कराने, राशन की कालाबाजी में लिप्त कर्मचारी को निलंबित करने, यदि किसी पर्यवेक्षणीय अधिकारी के विरूद्घ शासन स्तर से कार्रवाई की जानी है तो उसके संबंध में पूर्ण विवरण उपलब्ध कराने और अभियान चलाकर पात्र लाभार्थियों का सत्यापन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। यह सूचना भी संकलित कर ली जाए कि किन लाभार्थियों के पास विद्युत कनेक्शन एवं रसोई गैस उपलब्ध है।

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