-पुलिस भर्ती परीक्षा:
-हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर लगाई है रोक
गाजियाबाद: जिला कलेक्ट्रेट ऑफिस पर सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा के सफल अभ्यार्थियों ने भर्ती प्रक्रिया पर लगाई गई रोक हटाने के लिए जोरदार धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान अभ्यार्थियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। धरना प्रदर्शन में शामिल अभ्यार्थियों का कहना था कि पुलिस भर्ती प्रक्रिया पर लगाई रोक पूरी तरह से अवैध है। अभ्यार्थियों के खिलाफ यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित होकर की गई है। एग्जाम में सफल अभ्यार्थी राहुल कुमार का कहना है कि, भर्ती प्रक्रिया पर रोक की वजह से अभ्यार्थियों में हीन भावना पैदा हो रही है। वहीं इस कार्रवाई की वजह से प्रदेश के 34716 अभ्यार्थियों का फ्यूचर अधर में लटक गया है। इस कार्रवाई से उनका मन सरकार के प्रति खिन्न हो रहा है। अभ्यार्थियों ने भर्ती प्रक्रिया पर लगाई गई रोक हटाने के एि मुख्यमंत्री केनाम डीएम को ज्ञापन भी सौंपा है। इस मौके पर राहुल कुमार, ललित कुमार, अन्नू पिय, प्रवेश रानी, दीपक सिंह, प्रदीप समेत तमाम पुलिस भर्ती परीक्षा के सफल अभ्यार्थी मौजूद रहे।
ये था पूरा मामला
बता दें कि प्रदेश सरकार ने 29 दिसंबर 2015 को एक विज्ञापन जारी कर पुलिस भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन मांगे थे। जिसमें लाखों युवक युवतियों ने आवेदन किया था। एग्जाम होने के बाद 28916 पुरूष और 5800 महिला पुलिस आरक्षियों को सलेक्ट किया गया था। करीब आठ महीने पूर्व प्रदेश सरकार ने परीक्षा में सफल अभ्यार्थियों की लिस्ट जारी कर उनकी ट्रेनिंग भी शुरू करवा दी। इस रणविजय सिंह समेत सात अन्य लोगों ने भर्ती प्रक्रिया में धांधली को लेकर इलाहाबाद में याचिका दायर की थी। जिसमें याचिका कर्ताओं ने तर्क दिया गया था कि भर्ती प्रक्रिया में सिर्फ एक जाति विशेष के लोगों को तवज्जों दी गई है। इनमें कई ऐसे भी अभ्यार्थी है। जो मुख्य परीक्षा में फेल होने के बाद भी उनका नाम सफल अभ्यार्थियों की लिस्ट में डाल दिया गया। जबकि आवेदन जारी करते समय ये शर्त रखी गई थी कि परीक्षा में 50 फीसद अंग पाने वाले लोगों को ही सफल अभ्यार्थियों की सूची में जगह दी जाएगी। बावजूद इसके सूची में ऐसे अभ्यार्थियों के नाम भी शामिल कर दिए गए। जो फेल थे, जिन्होंने परीक्षा में 50 फीसद से कम अंग हासिल किए थे। याचिका कर्ता की इन दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने परीक्षा परीणाम पर रोक लगा दी थी।