गाजियाबाद: बीते 27 जनवरी इंदिरापुरम थाना क्षेत्र स्थित नहर रोड पर हुई ऑडी-ऑटो टक्कर मामले में क्राइम ब्रांच की तरफ से ऑडी मालिक समेत 4 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। बता दें कि हादसे के बाद ऑडी के कथित चालक ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर कोर्ट से जमानत ले लिया था। वहीं पुलिस को दिए गए बयान में ऑडी मालिक ने गलत जानकारी दी थी।
बता दें कि बीते 27 जनवरी की रात इंदिरापुरम थाना क्षेत्र स्थित नहर रोड पर ऑडी की टक्कर से ऑटो में सवार 4 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद से ही ऑडी मालिक व सफदरजंग अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर मनीष रावत लगातार गायब थे। घटना के चार दिन बाद खुद को ऑडी का ड्राइवर बताते हुए इशाक नाम के व्यक्ति ने गाजियाबाद कोर्ट में सरेंडर किया था। जहां से उसे जमानत मिल गई थी। जांच में सामने आया कि ऑडी चालक द्वारा कोर्ट में पेश किया गया दस्तावेज फर्जी है। जिस बरेली निवासी इशाक के ड्राइविंग लाइसेंस को पेश कर जमानत ली गई थी, वह ट्रक चालक का था। हादसे के दिन ट्रक चालक इशाक गुजरात से असम के लिए निकला था। जांच में पता चला कि कोर्ट में सरेंडर करने वाले व्यक्ति का नाम सैय्यद इम्तियाज है और वह भी बरेली में रहता है।
क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर एस.सी बेलवाल ने बताया कि ऑडी मालिक डॉक्टर मनीष, झूठे दस्तावेज देने वाला इम्तियाज और उसके गारंटर बृ्रजेश सिंह और सूरज तिवारी के खिलाफ तथ्यों से छेड़छाड़, जांच प्रभावित करने और झूठी गवाही देने के मामलों में रिपोर्ट दर्ज हुई है। सभी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हादसे के बाद से ही पुलिस व मीडिया से बचते फिर रहे डॉक्टर मनीष रावत अब पुलिस के निशाने पर है। क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर की माने तो डॉक्टर मनीष रावत और इम्तियाज के मोबाइल लोकेशन से पता चल रहा है कि हादसे के समय डॉक्टर खुद ही ऑडी को चला रहे थे।
ऐसे में पुलिस का मनीष पर शक गहरा गया है। इस मामले में जब क्राइम ब्रांच की टीम ने ट्रक चालक इशाक से पूछताछ की तो उसने बताया कि बरेली में इम्तियाज और वह एक ही मकान में रहते थे। इम्तियाज मुम्बई का रहने वाला था। उसके पास कोई लोकल आईडी नहीं थी। मोबाइल सिम लेने के लिए उसने उनका ड्राइविंग लाइसेंस लिया था। बाद में उनके ड्राइविंग लाइसेंस का दुरुपयोग किया। इशाक ने एसपी बरेली को इम्तियाज के खिलाफ शिकायत भी की है।