27/02/2019/गाजियाबाद/गाजियाबाद में शिक्षा विभाग के 24 दिन से लापता जिस कर्मचारी को पुलिस जगह-जगह तलाश रही थी, उसका शव 24 दिन बाद थाने से 100 मीटर की दूरी पर खड़ी सीज की गई बस में मिला। दुर्गंध आने पर पुलिस को शव बस में पड़ा होने की भनक लगी। सड़ी गली हालत में मिले शव को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया रजापुर के रहने वाले 56 वर्षीय राजपाल सिंह बेसिक शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी में कर्मचारी थे। उनकी तैनाती लोनी ब्लाक में थी। 31 जनवरी को वह अपने एक साथी की रिटायरमेंट पार्टी में जावली गांव गए थे। देर रात उनके साथी उन्हें कार से शास्त्री नगर चौराहे पर छोड़कर चले गए थे। इसके बाद वह घर नहीं पहुंचे और संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए थे।राजपाल सिंह के बेटे पंकज ने कविनगर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। तभी से पुलिस और परिजन उनकी तलाश कर रहे थे।कविनगर थाने से रविवार देर रात 100 मीटर की दूरी पर खड़ी सीज की गई एक बस से दुर्गंध आने की सूचना स्थानीय लोगों ने पुलिस को दी। मौके पर पुलिस पहुंची और बस के अंदर जाकर देखा तो सड़ी-गली हालत में एक शव पड़ा हुआ था। पुलिस ने राजपाल सिंह के परिजनों को सूचना देकर पहचान कराने के लिए बुलाया तो उन्होंने शव की शिनाख्त कर ली।राजपाल सिंह के बड़े बेटे मनोज उर्फ मोनू चौधरी का कहना है कि उनके पिता के शव पर चोट के निशान पाए गए हैं। एक आंख पर भी चोट लगी थी। खून बिखरा हुआ था। ऐसे में सामान्य मौत कैसे हो सकती है। उनका आरोप है कि पुलिस मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। मनोज का आरोप है कि उनके पिता पार्टी से लौटकर सुनसान जगह पर खड़ी बस में अकेले क्यों जाते। उन्हें जबरन वहां ले जाया गया और हत्या का शव फेंक दिया गया। थाने के पास 24 दिन उनके पिता का शव पड़ा रहा और पुलिसकर्मियों को इसकी जानकारी तक नहीं लगी। वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई चोट के निशान न मिलने और मौत का कारण स्पष्ट न होने की वजह से फिलहाल पुलिस इसे सामान्य मौत मान रही है।
