13/8/2018/सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक पर्व हरियाली तीज मनाया जाता है। इस उत्सव को श्रावणी तीज और कजरी तीज भी कहते हैं। हरियाली तीज पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस पर्व के दौरान उनका जीवन एक बार फिर उमंगों से भर जाता है। इस पर्व पर नारियों के समूहों को झूलों पर झूलते, तरह-तरह के पकवान बनाते, खिलाते या सामूहिक गीत गाते देखा जा सकता है। उत्तर भारत में इस पर्व की विशेष छटा देखने को मिलती है। वहीं दिल्ली तथा एनसीआर में बाजार तीज के त्योहार पर बजारो में भी काफी रौनक रहती है। इस दिन बेटियों को बढ़िया पकवान, गुजिया, घेवर, फैनी आदि सिंधारा के रूप में भेजा जाता है। इस दिन सुहागिनें बायना छूकर सास को देती हैं। इस तीज पर मेंहदी लगाने का विशेष महत्व है। स्त्रियां हाथों पर मेंहदी से भिन्न−भिन्न प्रकार के बेल बूटे बनाती हैं। स्त्रियां पैरों में आलता भी लगाती हैं जो सुहाग का चिन्ह माना जाता है।यह भारतीय परम्परा में पति पत्नी के प्रेम को और प्रगाढ़ बनाने तथा आपस में श्रद्धा और विश्वास पैदा करने का त्योहार है। इस दिन कुंवारी लड़कियां व्रत रखकर अपने लिए शिव जैसे वर की कामना करती हैं। विवाहित महिलाएं अपने सुहाग को भगवान शिव तथा पार्वती से अक्षुण्ण बनाए रखने की कामना करती हैं।
