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श्राप मिलने के कारण 12 साल तक किसान के घर रही थी मां

धनतेरस का पर्व कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन आता है और इस पर्व के दिन धन की देवी लक्ष्मी और धन देवता कुबेर का पूजन किया जाता है। धनतेरस के दिन लोगों द्वारा सोना, चांदी, बर्तन और कई तरह की चीजें खरीदी जाती हैं और घर में दीपक जलाया जाता है। धनतेरस का पर्व मनाने से कई तरह की कथाएं भी जुड़ी हुई हैं और इन्हीं कथा में से एक कथा मां लक्ष्मी और एक किसान की है।

धनतेरस मनाने से जुड़ी कथा……..

धनतेरस कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने मृत्युलोक जाने का विचार किया। जब ये बात लक्ष्मी मां को पता चली तो उन्होंने भी विष्णु जी के साथ मृत्युलोक जाने का आग्रह किया। विष्णु जी ने लक्ष्मी मां से कहा, अगर तुम मेरी एक बात मान लो तो मैं तुमको अपने साथ मृत्युलोक ले जाऊंगा। ये कहकर विष्णु जी मां लक्ष्मी को अपने साथ धरती पर ले लाए। धरती पर आने के बाद विष्णु जी ने लक्ष्मी मां से कहा कि वो इस जगह पर ही ठहरें। मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं। तुम मेरा पीछा मत करना। विष्णु जी के दक्षिण दिशा की और जाने के बाद लक्ष्मी मां से रूका नहीं गया और वो भी दक्षिण दिशा की और चल पड़ी। दक्षिण दिशा की और जाते समय लक्ष्मी मां को फूलों का एक बेहद ही सुंदर बगीचा दिखा और लक्ष्मी मां ने इस बगीचे से कई सारे फूल तोड़ लिए और इन फूलों से अपना श्रृंगार करने लगी। श्रृंगार करने के बाद लक्ष्मी मां आगे की और बढ़ीं और आगे जाकर उन्हें एक खेत में गन्ने लगे हुए दिखें और मां ने उन गन्नों को तोड़कर खाना शुरू कर दिया। इसी बीच विष्णु जी भी वहां पर आ गए और लक्ष्मी जी से नाराज होकर उन्होंने लक्ष्मी जी को शाप दे दिया कि जिस किसान के खेतों से उन्होंने चोरी की है। उस किसान की 12 वर्ष तक तुम सेवा करो। ये कह कर विष्णु जी क्षीरसागर चले गए।

लक्ष्मी जी उस गरीब किसान के घर रहने लगीं। एक दिन लक्ष्मी जी ने किसान की पत्नी से कहा कि तुम सुबह स्नान करके देवी लक्ष्मी का पूजन करो और जो चाहती हो वो मांग लों। किसान की पत्नी ने लक्ष्मी मां की पूजा की और मां से धन मांग लिया। जिसके बाद किसान का घर धन से भर गया। 12 साल तक मां लक्ष्मी किसान के घर में रही और 12 साल पूरे होने के बाद विष्णु जी मां लक्ष्मी को लेने के लिए आ गए। लेकिन किसान ने मां लक्ष्मी को भेजने से माना कर दिया। तब मां लक्ष्मी ने किसान से कहा कि वो कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन अपने घर में एक दीपक जला दें और मेरी पूजा करें। पूजा करते समय धन से भरा एक कलश पूजा स्थल पर रख दें। इस कलश में मेरा वास होगा और मैं सदा तुम्हारे पास ही रहूंगी। मां लक्ष्मी की बात को मानते हुए किसान ने कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मां की पूजा करना शुरू कर दिया और उसका घर धन से भरा रहा जो कि मां लक्ष्मी का रूप था।

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