20/03/018/नई दिल्ली / नौ दिन चलने वाले इस विशेष साधना सत्र में भारत के कोने-कोने से तथा यूएसए, कनाडा, यूके, रसिया सहित कई देशों से भी अनेक लोग साधना करने पहुंचे हैं. साधक ध्यान साधना, योग हवन एवं त्रिकाल संध्या में नियमित रूप से भागीदार करेंगे. साधकों के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने बताया कि यह समय साधना के माध्यम से अपनी आंतरिक शक्ति को विकसित करने का सर्वोत्तम काल है. इन नौ दिनों में उपवास रखकर 24 हजार मंत्रों के जप का अनुष्ठान बड़ी साधना के समान परम हितकर सिद्ध होता है. कष्ट निवारण, कामना पूर्ति एवं आत्म बल बढ़ाने के साथ ही साथ यह साधना सद्विवेक अर्थात प्रज्ञा का जागरण करती है.
