30/11/2016 / नोएडा। बैंकों में नई करेंसी का करंट लगातार बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि, बैंकों और एटीएम के बाहर लगने वाली भीड़ और ज्यादा बढ़ती जा रही है। कइसका प्रभाव अब बैंककर्मियों के व्यवहार पर भी पड़ने लगा है। कैशियर समेत नकदी देने वाले काउंटर पर बैठने वाले अन्य कर्मचारी पर्याप्त करंसी मिले बिना सीट पर बैठने को तैयार नहीं हैं। बैंक में करेंसी कम होने के चलते ग्राहक बैंककर्मियों से मारपीट करने के लिए उतारू हो रहे है। उधर कर्मचारी पर इस समय ज्यादा वर्क लोड़ है। इसके चलते कर्मचारी प्रबंधकों से लड़ाई करने को तैयार रहते हबै। प्रबंधकों का तर्क है कि आरबीआइ और प्रमुख शाखाओं से मांग के मुकाबले 10 फीसद करंसी भी नहीं मिल रही है। यानी जिस बैंक शाखा में 50 लाख रुपए की जरूरत हैं, वहां महज 2 से 5 लाख रुपए की नई करंसी आ रही है। इसके कारण उन्हें लोगों को केवल 2000 रुपए देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने के 21वें दिन भी हालात जस के तस बने हुए हैं। रुपयों की कमी और लोगों की बढ़ती भीड़ के मद्देनजर शाखा प्रबंधकों ने नए नियम बना लिए हैं। मसलन, पुराने नोट केवल खाताधारक की शाखा में ही जमा होंगे। पत्नी या बेटे के खाते में भी रकम जमा कराने पर प्राधिकार पत्र और आइडी जमा करानी होगी। दूसरी शाखा में न तो नकदी जमा की जा रही है और ना ही ली जा रही है। नकदी का भुगतान भी मूल शाखा में कराने को कहा जा रहा है।
प्रबंधकों के मुताबिक, ये नियम उन्होंने नहीं बल्कि आरबीआइ ने जारी किए हैं। अपने खाताधारकों को घंटों लाइन में लगने के बाद 2000 रुपए देना भी मुश्किल हो रहा है, ऐसे में अन्य शाखाओं के खाताधारकों को रकम देना या जमा कराना मुमकिन नहीं है। दूसरी तरफ, जानकारों का मानना है कि रोजाना करोड़ों रुपए के 100 और 2000 रुपए के नोट बैंक लोगों को दे रहे हैं। कुछ हजार रुपए के एक-दो मामले को छोड़ दिया जाए, तो कोई भी खाताधारक 100 या 2000 रुपए के नए नोट जमा कराने बैंक नहीं आया है। जबकि पहले बैंक में जमा होने वाली करंसी ही निकासी में लोगों को दी जाती थी।