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रामलीला के दूसरे दिन मुख्य अतिथि पूर्व राज्य मंत्री नवाब सिंह नागर द्वारा दीप प्रज्वलन कर लीला का किया शुभारंभ

नोएडा। श्रीराम मित्र मण्डल द्वारा आयोजित रामलीला मंचन सेक्टर-62 के दूसरे दिन मुख्य अतिथि उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश एवं पूर्व राज्य मंत्री नवाब सिंह नागर द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ लीला का शुभारंभ हुआ। श्रीराम मित्र मंडल रामलीला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गोयल एवं महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा द्वारा मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह प्रदान किया और अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया गया । पहले दृश्य मे महाराज दशरथ जी अपने दरबार में बैठकर विचार करते हैं ‘‘ एक बार भूपति मन माहीं। भै गलानि मोरे सुत नाहीं’’ ऐसा विचार करके दशरथ जी गुरू वशिष्ठ के पास जाते हैं। गुरू वशिष्ठ जी राजा दशरथ को आश्वस्त करते हैं कि ‘‘ धरहु धीर होइहहिं सुतचारी। त्रिभुवन विदित भगत भयहारी’’ ऐसा कहकर वशिष्ठ जी श्रृंगी रिषी को बुलाते हैं और पुत्रेष्ठि यज्ञ कराते हैं। यज्ञ से अग्निदेव प्रकट होकर चारूफल तीनों रानियों को देते हैं। कुछ समय उपरांत भगवान राम सहित चारों भाईयों का जन्म होता हैं‘‘नौमी तिथि मधुमास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरि प्रीता’’। राम जन्म सुनकर पूरे अयोध्या में खुशी की लहर दौड़ जाती है और दशरथ के दरबार में मंगल गीत गाये जाते हैं‘‘ पुत्र भइले चार ओ दशरथ के अॅगनवा, होइहे खुशी अपार हो दशरथ के अॅगनवा’’। बाल स्वरूप भगवान राम से मिलने शंकर जी योगी का भेष बनाकर आते हैं और अपने आराध्य से मिलते हैं‘‘ शिव पूजें श्रीराम को राम कहें शिव ईश, भक्त सभी विषमय करें कौन बड़ा जगदीश’’। इसके बाद चारों भाइयों का नामकरण गुरू वशिष्ठ द्वारा किया जाता हैं। चारों भाइयों की शिक्षा दीक्षा होती हैं। अगले दृश्य में विश्वामित्र का राजा दशरथ के दरबार में आगमन होता हैं और वह अपने यज्ञ की रक्षा के लिए राम लक्ष्मण को साथ ले जाने के लिए कहते हैं। दशरथ जी बोले हे मुनि‘‘ सब सुत मोहि प्रान की नाईं। राम देत नहिं बनइ गोसाईं’’। इसके बाद वशिष्ठ जी के समझाने पर दशरथ जी राम लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेज देते हैं। रास्ते में जाते समय विश्वामित्र भगवान राम को राक्षसी ताड़का को दिखाते हैं। ताड़का क्रोध करके विश्वामित्र व राम लक्ष्मण के ऊपर आक्रमण करती हैं भगवान राम ने धनुष उठाकर‘‘ एकहि बान प्रान हर लीन्हा। दीन जानि तेहि निज पद दीन्हा’’। ताड़का का वध कर देते हैं और अपने परम धाम पहुंचा देते है। विश्वामित्र जब यज्ञ करने लगते हैं तब मारिच अपने साथियों के साथ यज्ञ पर धावा बोलता हैं। भगवान राम उसको एक बाण से सौ योजन पार पहुंचा देते हैं। इसके बाद राक्षस सुबाहु का भी वध कर देते हैं। देवता व रिषी मुनि भगवान की स्तुति करते हैं। इसके साथ ही दूसरे दिन की लीला का समापन होता हैं । मीडिया प्रभारी चंद्रप्रकाश गौड़ ने बताया कि 12 अक्टूबर को पुष्प वाटिका में राम सीता का मिलन, धनुष यज्ञ, लक्ष्मण परशुराम संवाद आदि लीलाओं का मंचन किया जायेगा। इस अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष बी0पी0 अग्रवाल, मुख्य यजमान उमाशंकर गर्ग, मुख्य संरक्षक ओंकारनाथ अग्रवाल, अध्यक्ष धर्मपाल गोयल, महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा, उपमुख्य संरक्षक ओमबीर शर्मा, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सह – कोषाध्यक्ष अनिल गोयल, सत्यनरायण गोयल, तरुण राज, मनोज शर्मा, डॉ ए के त्यागी, मुकेश गोयल, मुकेश गुप्ता, संजय शर्मा, पंकज कुमार, रविन्द्र चौधरी, आत्माराम अग्रवाल, मीडिया प्रभारी चंद्रप्रकाश गौड़, मुकेश सिंघल, चक्रपाणि गोयल, मुकेश गर्ग, एस एम गुप्ता, गौरव मेहरोत्रा, पवन गोयल,मुकेश अग्रवाल, राजकुमार गर्ग, यशवीर त्यागी, विजय भारद्वाज, अनुज गुप्ता, सुधीर पोरवाल, राकेश गुप्ता,अजय गुप्ता, रामनिवास बंसल, ओ पी गोयल,कुलदीप गुप्ता, अर्जुन प्रजापति, चंद्रप्रकाश गौड़, सहित आयोजन समिति के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।

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