ट्रिपल तलाक पर ऐतिहासिक फैसला दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट अब इस्लाम में प्रचलित बहुविवाह और ‘निकाह हलाला’ की सुनवाई करने को तैयार हो गया है…दरअसल कई बार आवेश में लिए गए निर्णय इतने घातक हो जाते हैं…कि उसे सुधारने के लिए जो कदम उठाए जाते हैं…वो जिंदगी भर के लिए ऐसी कड़वी यादें छोड़ जाते हैं जिसे चाह कर भी भुलाया नहीं जाता…निकाह हलाला और बहुविवाह मुस्लिम महिलाओं के लिए उनके समाज का एक ऐसा घिनौना घाव है…जो जिंदगी भर बस रिस्ता ही रहता है…3 तलाक के बाद इस जख्म को अपने जीवन से निकालने के लिए मुस्लिम महिलाओं ने पहल की है… दरअसल निकाह हलाला का दर्द झेल चुकी दिल्ली की नफीसा खान और समीना बेगम ने इसके खिलाफ आवाज उठाई…उन्होंने कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं में मांग की है…कि मुस्लिम समाज में प्रचलित शादी की इन प्रक्रियाओं को गैरकानूनी घोषित किया जाए…जिसपर कोर्ट ने एक्शन लिया और अब इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ करेगी…दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ दायर की गईं 4 याचिकाओं पर केंद्र सरकार और लॉ कमीशन को नोटिस जारी करने के साथ ही…इसकी सुनवाई के लिए 5 जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच के पास ट्रांसफर कर दिया है….3 तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को सुप्रीम कोर्ट पहले ही गैरकानूनी घोषित कर चुका है…लेकिन बहुविवाह और निकाह हलाला का दंश आज भी मुस्लिम महिलाएं झेल रही हैं…बहुविवाह जहां मुस्लिमों को 4 शादियां करने की इजाजत देता है वहीं निकाह हलाला ऐसी घिनौनी प्रक्रिया है…जिसमें अगर कोई मुस्लिम शख्स अपनी बीवी को तलाक देने के बाद…फिर से उससे निकाह करना चाहे तो पहले महिला को हलाला करना होता है…जिसके दौरान तलाकशुदा महिला को तलाक देने वाले शौहर से दोबारा निकाह से पहले…किसी दूसरे आदमी से निकाह और जिस्मानी रिश्ते कायम करना होता है…ये ऐसी वेदना है जिसे मुस्लिम महिलाएं आज से नहीं बल्कि बरसों से झेलती आ रही हैं…निकाह हलाला से जानी मानी फिल्म अभिनेत्री मीना कुमारी भी अछूती नहीं रही थी…मीना कुमारी ने निकाह हलाला के हादसे से मिलने वाले दर्द को बंया करते हुए लिखा था कि…
स्कोर्ल…
जब उन्हें धर्म के नाम पर अपने जिस्म को दूसरे मर्द के सौंपना पड़ा…तो फिर उनमें और किसी वेश्या में क्या फर्क रह गया…
मीना कुमारी, अभिनेत्री
बहुविवाह और निकाह हलाला को असंवैधानिक करार देने की मांग अब तेज होती जा रही है…3 तलाक के बाद मुस्लिम समाज की इन कुरीतियों को हटाने के लिए महिलाओं ने जो आवाज बुलंद की है…हालांकि सच ये भी है कि इसके खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने के लिए मुस्लिम समाज के ठेकेदार जी तोड़ कोशिश करेंगे…लेकिन ये आवाज अब ना तो दब सकती है और ना ही रुक सकती है…इंतजार तो बस अब कोर्ट का फैसला आने का है…