संघ सूत्रों के अनुसार इस फिल्म को लेकर संघ अंदरखाने एक मत है। संघ के पदाधिकारियों के अनुसार हर मुद्दे पर बयान बाजी करना उचित नहीं है। इससे संघ अपने मूल उद्देश्यों से भटकता है। लेकिन इस फिल्म को लेकर संघ एक मत है कि लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली ये फिल्म ही नहीं, बल्कि कोई भी फिल्म रिलीज नहीं होनी चाहिए।
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संघ का मानना है कि इस फिल्म को निर्माता ही अपने स्तर पर रिलीज होने से रोक लें, तो बेहतर होगा। इससे देश में शांति बनी रहेगी।
हां, हम चाहते हैं फिल्म नहीं हो रिलीज – क्षेत्रीय संघ चालक
आरएसएस के क्षेत्रीय संघ चालक (उत्तर-पश्चिम) भगवती प्रसाद ने कहा कि फिल्म को लेकर बवाल मचा हुआ है। राजपूत ही नहीं कई समाज चाह रहे हैं कि फिल्म रिलीज ही न हो। कुछ ऐसी ही भावना संघ की भी है। हम भी नहीं चाहते कि महासती और श्रद्धा स्वरूप महासती रानी पद्मिनी को मात्र कल्पना के आधार पर दिखाया जाए।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि फिल्म मेकर्स को ही इस फिल्म को रिलीज होने से रोक लेना चाहिए। आखिर इतिहास से छेड़छाड़ क्यों? इतिहास की अपुष्ट घटनाओं को लेकर ऐतिहासिक तथ्यों के साथ दिखाना, जिसमें पात्रों और जगहों के भी फिल्म में वही रखे गए हों, ऐसा नहीं करना चाहिए।