नोएडा/नोएडा शहर ट्रेडिशनल तरीके से पानी पीने की जैसे लोगों में पैज सी लग गई है एक समय था गांव के लोग नलों का पानी फिल्टर वाला पीते थे लेकिन आज जगह-जगह समर्सिबल और पानी की प्लांट खोलने से पानी की भारी मात्रा में कमी आ चुकी है जिससे लोग पानी की प्लानटो से पानी लाने को मजबूर हो गए हैं यह ट्रेडिशनल तरीके से पानी पीने का तरीका बीमारियों को दावत देना बताया जा रहा है पेट के रोग उल्टी दस्त आदि जैसी बीमारियों से बचने के लिए साफ पानी पीने की सलाह देने वाले मैसेज खासकर गर्मी के मौसम में सोशल मीडिया पर वायरल होने लगते हैं लगातार इन मैसेज से विज्ञापन एक्सपोर्टर का नतीजा है जिससे लोग अपना जीवन बदलते हुए नजर आ रहे हैं दूसरी तरफ पानी के प्लांटों पर गंदगी का अभाव देखा गया है एक तरफ जनता पीने के लिए पानी भर्ती है दूसरी तरफ वहीं पर पानी की प्लांट काही कर्मचारी साबुन के पानी से नहाता है क्या यह पानी साबुन से दूषित नहीं हो रहा है क्या इस नहाने वाले युवक से गंदगी नहीं फैल रही है अधिकारियों का इस तरह कोई ध्यान नहीं है शायद ही स्वास्थ्य अधिकारी इन प्लांटों की जांच करने के लिए नोएडा शहर में अपना कदम रखते होंगे शहर में हजारों लीटर पानी प्रतिदिन बेचा जा रहा है जबकि चिकित्सा विज्ञान कहता है कि 90% से अधिक बीमारियां पीने के पानी से होती हैं नगर में कुछ लोगों द्वारा आरओ वाटर के नाम पर केवल अमानक स्तर का ठंडा पानी बेचा जा रहा है जबकि इन प्लांटों के संचालकों द्वारा न लेबोरेटरी में पानी की जांच करवाई जाती है न ही पानी को शुद्ध करने के लिए आवश्यक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है बोरिंग के पानी को पैक करने से पूर्व उसे आरओ सिस्टम से फिल्टर किया जाना चाहिए।चिकित्सकों के मुताबिक पानी को बैक्टीरिया से मुक्त करने के लिए (अल्ट्रा पायलेट ) रेस से उसका ट्रीट करने पर 25 प्रतिशत पानी ही उपयोग में लिया जा सकता है, लेकिन तीनों में से किस भी प्लांट संचालक द्वारा इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा।