नोएडा। देश के अलग-अलग प्रांतों से आए सिल्क की नुमाईश नोएडा शहर में शुरू हो गई है। सेक्टर-42 स्थित एक्सपो सेंटर में 20 सितंबर से 25 सितंबर तक आयोजित सिल्क इंडिया प्रदर्शनी में पोचमपल्ली, मंगलगिरी, कांचीवरम और मटका सिल्क के परिधान प्रदर्षित करने के लिए 200 से ज्यादा बुनकार आए हुए है। प्रदर्शनी में बुनकरो ने लोहे के जंग और पेडों की छाल से सिल्क को रंगा है। इन साडियों पर पुरातन कथाओं के साथ-साथ आधुनिकता का समावेश भी हैै।
हस्तशिल्पी के प्रबंध संचालक टी. अभिनंदन ने बताया कि मैसूर की संस्था देश के दूरस्थ अचंलो के उन बुनकरों को अपनी कला के प्रदर्शन के लिए मंच उपलब्ध करा रही है। ये हस्तशिल्पी कई दशको से सिल्क कला को जीवित रखे हुए है। इसी प्रयास के तहत संस्था द्वारा एक्सपों सेंटर में 20 सितंबर से 25 सितंबर तक सिल्क इंडिया प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी का खास आकर्षण आंध्रप्रदेश के हस्तकला से आई हेंड पेटिंग की साडियां है। सिल्क की इन साडियों पर पेंट करने से पहले 10 बार दूध में डूबोया जाता है ताकि इसका रंग पक्का रहे। इसके बाद पेडों की छालों ओैर जंग लगी किलों के नेचुरल रंगों से इन्हे पेंट किया गया है। बुनकरों ने बुनाई के साथ ही इन वस्त्रों पर जंगल का जीवन, हिरण के पीछे भागते शेर आदि की पेटिंग की है। इसके साथ ही कांजीवरम सिल्क पर भी बुनकरों ने पेंटिंग तैयार की है। कलकत्ता से आए शिल्पकारो ने ब्लाक प्रिंट के जरीए साडियों पर शकुंतला व दुष्यतं की प्रेमकथा का खूबसुरत चित्रण किया है। भागलपुर से आए शिवकुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कुर्ते का कपडा तैयार करते है।
इस सिल्क इंडिया प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ से कोसा सिल्क, घिचा सिल्क साड़ी, मलबरी राॅ सिल्क, ब्लाॅक प्रिन्टेड सिल्क साड़ी, गुजरात से बांधनी, पटोला, कच्छ एम्ब्रोयडरी, गुजराती मिरर वर्क व डिजायनर कुर्ती, जम्मू व कश्मीर से तबी सिल्क साड़ी, पश्मिना शाॅॅल, चिनान सिल्क साड़ी, मध्य प्रदेश से चंदेरी, माहेश्वरी काॅटन एण्ड सिल्क साड़ी सूट, उड़ीसा से बोमकाई, संभलपुर, राजस्थान से बंधेज, बांधनी सिल्क साड़ी, जयपुर कुर्ती, ब्लाॅक प्रिन्ट, सांगानेरी प्रिन्ट, कोटा डोरिया उत्तर प्रदेश से तंचोई बनारसी, जामदानी, जामावार, ब्रोकेट ड्रेस मटेरियल, लखनवी चिकन, पश्चिम बंगाल से शांति निकेतन, काथां साड़ी, डिजाइनर साड़ी, बालुचरी, नीमजरी साड़ी, प्रिन्टेड साड़ी, धाकई जामदानी और महाराष्ट्र की लोकप्रिय जरी पैठणी साडियां महिलाओं को अपनी ओर खींच रही है। कलाप्रेमी दोपहर 10.30 बजे से रात 8.30 बजे तक बुनकरो की बुनाई कला को देख सकते है।