जय माता दी… नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है…मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं… देशभर में मां दुर्गा के दर्शन के लिए मंदिरो में भक्तो का तांता लगा है…..माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं
नवरात्रि के पाँचवे दिन दुर्गा मां के स्कंदमाता स्वरुप की पूजा की जाती है… .हिन्दु धर्म की मान्यतानुसार जब अत्याचारी दानवों का अत्याचार बढ़ता है…. तब स्कंदमाता, संत जनों की रक्षा के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का अंत करती हैं….देवी स्कन्दमाता की चार भुजाएं हैं जहां माता अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं…. और एक भुजा में भगवान स्कन्द को सहारा देकर अपनी गोद में लिये बैठी हैं….. जबकि मां का चौथा हाथ भक्तो को आशीर्वाद देने की मुद्रा मे होता है…..देवी स्कन्द माता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं…जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है…. ये पर्वत राज की पुत्री होने की वजह से पार्वती कहलाती हैं….स्कंदमाता को अपने पुत्र से अत्यधिक प्रेम है, अत: मां को अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना अच्छा लगता है…इसलिए मान्यता ये भी है कि जो भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा करते है, मां उस पर अपने पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं… मान्यता है कि इस दिन साधक का मन ‘विशुद्ध‘ चक्र में अवस्थित होता है…. मां स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं…..स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना अपने आप हो जाती है….सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण स्कंदमाता की पूजा करने वाला व्यक्ति अलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है….
कैसे करें स्कंदमाता मां की पूजा
पहले मां स्कंद माता की मूर्ति और तस्वीर को लकड़ी की चौकी पर पीले वस्त्र को बिछाकर उस पर कुंकुंम से ऊं लिखकर स्थापित करें
हाथ में पीले पुष्प लेकर मां स्कंद माता के दिव्य ज्योति स्वरूप का ध्यान करें
मां के श्री चरणों में प्रार्थना कर आरती पुष्पांजलि समर्पित करें और भजन कीर्तन करें
मां स्कंदमाता की उपासना से मन के सारी कुण्ठा जीवन-कलह और द्वेष भाव समाप्त हो जाता है….मृत्यु लोक में ही स्वर्ग की भांति परम शांति और सुख का अनुभव प्राप्त होता है…साधना के पूर्ण होने पर मोक्ष का मार्ग खुल जाता है.. हमें एकाग्रभाव से मन को पवित्र रखकर माँ की शरण में आने का प्रयत्न करना चाहिए… इस घोर भवसागर के दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ बनाने का इससे उत्तम उपाय दूसरा नहीं है