23/03/18/नवरात्रि का छठा दिन कात्यायनी की उपासना का दिन होता है… देशभर में मां दुर्गा के दर्शन के लिए मंदिरो में भक्तो का तांता लगा है…..माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं…..
भगवती दुर्गा के छठें स्वरुप का नाम कात्यायनी है….. दुर्गा पूजा के छठवें दिन इनके इसी स्वरुप की उपासना की जाती है… माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्यों को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है…. इनका स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है…इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला, और भास्वर है.. इनकी चार भुजाएँ हैं..माता जी का दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है…और नीचे वाला वरमुद्रा में, बाई तरफ के ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प और नीचे वाले हाथ में तलवार है…इनका वाहन सिंह है… देवी कात्यायनी के नाम और जन्म से जुड़ी एक कथा प्रसिद्ध है… एक वन में कत नाम के एक महर्षि थे उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य रखा गया…इसके बाद कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया…उनकी कोई संतान नहीं थी… मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने की इच्छा रखते हुए उन्होंने पराम्बा की कठोर तपस्या की… हर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें पुत्री का वरदान दिया…कुछ समय बीतने के बाद राक्षस महिषासुर का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया…तब त्रिदेवों के तेज से एक कन्या ने जन्म लिया और उसका वध कर दिया…कात्य गोत्र में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ गया…..मां दुर्गा का ये स्वरुप विशेष फलदायी है…..मां कात्यायनी सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्म करें….. कुष्मांडा