16/11/2016/बैंकों में बढ़ती भीड़ पर लगाम लगाने पर केंद्र सरकार ने पुराने बड़े नोट बदलने के लिए बैंकों के बाहर लगी भीड़ को काबू करने के लिए सरकार ने मंगलवार यह अहम फैसला किया है.
नोट बदलने के लिए जाने वाले शख्स की उंगुली पर बैंककर्मी इंक (स्याही) का निशान लगाएंगे. जिससे वह दोबारा लाइन में खड़ा होकर नोट बदलने की कोशिश न करे. यह इंक वही होगी जिसका इस्तेमाल मतदान के दौरान किया जाता है. सभी बैंक शाखाओं को यह इंक भेजी जा रही है और महानगरों की बैंक शाखाओं में इंक का निशान लगाने का आदेश बुधवार से प्रभावी हो जाएगा.
बेहद जरूरतमंद लोगों को भीड़ की वजह से दिक्कत
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि देश के कई शहरों में बैंक शाखाओं में यह देखा गया कि कुछ ही लोग बार-बार नोट बदलने की लाइन में आकर खड़े हो रहे हैं. इसके चलते जिन लोगों को बेहद जरूरत है, उन्हें दिक्कत हो रही है. साथ ही कुछ लोग इसका इस्तेमाल गलत तरीके से कालेधन को सफेद बनाने के लिए कर रहे हैं. इसलिए तय किया गया है कि जब भी कोई शख्स पुराने नोट बदलने के लिए बैंक जाएगा, उसकी अंगुली पर इंक का निशान लगाया जाएगा.
सरकार के पास आंतरिक तौर पर यह सुझाव पहले से ही था, लेकिन अब इसे लागू किया जा रहा है. इस बीच सरकार ने सभी बैंक शाखाओं तक यह इंक पहुंचाने के लिए एमपीवीएल को कहा. कंपनी 1962 से चुनाव आयोग को यह इंक मुहैया करा रही है. उंगुली पर लगाए जाने के बाद इस इंक का निशान कई दिनों तक रहता है. दास ने कहा कि नोट बदलने के लिए इंक लगाने के बारे में वित्त मंत्रालय का वित्तीय सेवा विभाग और आर्थिक कार्य विभाग गाइड लाइंस को अंतिम रूप दे रही है. हालांकि अभी यह साफ नहीं किया गया है कि एक शख्स कितने बार नोट बदल सकेगा.
बैंकों में बढ़ती भीड़ पर लगाम की कोशिश
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने एक बार में अधिकतम 4500 रुपए के पुराने नोट बदलने की इजाजत दी है. इससे पहले यह सीमा 4000 रुपे थी. यह सीमा 24 नवंबर तक सिर्फ एक बार के लिए थी. लेकिन अलग-अलग बैंकों में जाकर नोट बदलने का काम चल रहा है. जिसके कारण चौथे दिन भीड़ सबसे ज्यादा दिखी.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक अचानक की गई सरकार की इस घोषणा के बाद कर्नाटक सरकार की ओर से संचालित एमपीवीएल के जनरल मैनेजर सी हरकुमार ने कहा कि ऐलान के बाद से कई बैंकों ने उनसे संपर्क किया है. सभी 5 मिली. वाली बोटल से कितने लोगों को इंक लगाया जा सकता है के बारे में जानना चाहते थे. हम युद्ध स्तर पर इंक का उत्पादन कर रहे हैं.
कई संगठनों की मदद से बनता है यह इंक
चुनाव आयोग और द नेचुरल फिजिकल लैबोरेट्री की मदद से एमपीवीएल इस इंक का उत्पादन करता है. इसमें नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉरपोरेशन भी सहयोग करता है. इंक में सिल्वर नाइट्रेट होता है जो अल्ट्रवायलेट किरणें जैसा दिखता है. यूपी में होने वाले चुनाव के दौरान भी यही इंक इस्तेमाल किया जाएगा.
हरकुमार ने बताया कि उन्हें इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन की तैयारी के लिए वक्त चाहिए था. यह नहीं मिल सका. चुनावों के दौरान हमें काफी वक्त मिल जाता रहा है. वैसे हमें चुनाव के लिए भी स्टॉक रखना होगा. कंपनी अपने उत्पादन का 77 फीसदी हिस्सा इंक ही बनाती है. बाकी कोटिंग्स और प्रीमियर्स से भी वह कमाई करता है. साल 2009 के आम चुनाव में एनपीवीएल ने इंक के 10 मिली. वाली 20 लाख बोटल्स भेजा था. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में 2.3 करोड़ किलो इंक का उतपादन किया था.

A polling officer applies ink on the finger of a voter at a polling station in Mohan Sarai, in the northern Indian state of Uttar Pradesh, April 16, 2009. Indians voted in the first stage of a staggered general election on Thursday just as the economy is hit by a slowdown and with polls showing the main national parties may struggle to form a stable coalition. REUTERS/Adnan Abidi (INDIA)