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देवउठनी एकादशी से क्यों शुरू होते हैं सारे शुभ काम..

9/11/2016/देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए भगवान विष्णु क्षीर सागर में सोने चले जाते हैं. इसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन वह फिर जाग्रत हो जाते हैं.इस लिए इसे एकादशी या फिर देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है.

एकादशी के दिन शलिग्राम से तुलसी विवाह भी किया जाता है. देवउठनी एकादशी का व्रत करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल प्राप्त होता है.इस तिथि से ही सारे शुभ काम जैसे, विवाह, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्य होने शुरू हो जाते हैं.

ऐसे करे एकादशी का पूजन…
– व्रत करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन में चौक बनाएं. उसके बाद भगवान विष्णु के चरणों को अल्पना से बनाएं और उन्हें ढक दें.
– देवउठनी एकादशी की रात में सुभाषित स्त्रोत का पाठ, भगवत कथा और पुराणादि का पाठ करें या फिर कीर्तन-भजन आदि करें.
– इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान को जगाएं…
उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव। गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।
इसके बाद विधिवत पूजा करें.
– भगवान के मन्दिर और सिंहासन पुष्प और वंदनबार आदि से सजाएं.
– आंगन में देवोत्थान का चित्र बनाएं और फिर फल, पकवान, सिंघाड़े, गन्ने आदि चढ़ाकर डलिया से ढक दें और दीपक जलाएं.
– विष्णु पूजा में पंचदेव पूजा विधान अथवा रामार्चनचन्द्रिका आदि के अनुसार श्रद्धापूर्वक पूजन कर धूप-दीप जलाकर आरती करें.

इससाल विवाह के मुहूर्त…
नवंबर:11, 16, 21, 23, 24, 25, 26 और 30
दिसंबर: 1, 3, 4, 5, 8, 9, 10, 12 और 13.

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