7/10/2016/नोएडा। उत्तर प्रदेश को झकझोर देने वाले बिसाहाड़ा बिसाहड़ा गांव में तनाव बरकरार है। बुधवार देर रात रविन का शव गांव पहुंचने पर माहौल और ज्यादा गमगीन हो गया। ग्रामीणों ने रवि का अंतिम संस्कार आज (गुरुवार को) भी नहीं होने दिया। ग्रामीणों ने रवि को शहीद करार देते हुए उसके शव पर तिरंगा रख दिया और सरकार से एक करोड़ रुपये के मुआवजा देने की मांग की है। इसके साथ ही गांव के हजारों लोग अखलाक हत्याकांड में नामजद सभी 17 लोगों को तुरंत रिहा करने की मांग पर गुरुवार को धरने पर बैठ गए।
रविन के परिजनों का कहना है कि उसे किडनी की कोई परेशानी नहीं थी। 30 सितंबर को उन लोगों ने कोर्ट में आवेदन दिया था कि चिकनगुनिया का इलाज कराने के लिए उसे गौतमबुद्ध नगर के अस्पताल में भर्ती कराया जाए। इस दौरान बिसाहड़ा में वीएचपी नेता साध्वी प्राची समेत दर्जनों गौरक्षक मौजूद हैं।
बताते चले कि
बिसाहाड़ा कांड में अखलाक की हत्या के आरोप में नामजद 22 वर्षीय रविन की मौत मंगलवार को किडनी और श्वसन तंत्र फेल हो जाने से हो गई थी। बीमारी के बाद पहले उसे नोएडा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
एलएनजेपी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जे सी पांडेय ने बुधवार को कहा था कि, मरीज को किडनी फेल्यूर और हाई ब्लड शुगर जैसी बुरी दशा में दोपहर करीब 12 बजे लाया गया था लेकिन शाम 7 बजे तक किडनी फेल होने और सांस लेने में दिक्कत होने पर उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों का आरोप है कि रविन और उसके साथ तीन और आरोपियों की जेल की पिटाई की गई है, जिसके बाद रविन को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। इस पर जेल प्रशासन का कहना है कि रविन फेफड़े के इन्फेंक्शन से पीड़ित था लेकिन पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही इस बारे में कुछ बताया जा सकेगा।
आज हो सकता है आंदोलन
बिसाहड़ा के हालातों और ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए शुक्रवार को आंदोलन हो सकता है। यह आंदोलन उग्र रूप भी धारण कर सकता है। प्रशासन की ओर से परिवार को आर्थिक सहायता के रूप में 10 लाख रुपए देने की घोषणा की गई है। जिसे रविन को परिजनों ने ठुकरा दिया। उधर, गुरुवार को ग्रामीण जिला प्रशासन से वार्ता करने भी गए। मगर वार्ता विफल रही।