28/10/2016/नोएडा। डीएनडी टोल ब्रिज के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण द्वारा टोल ब्रिज कंपनी के चयन पर ही सवाल उठाएं। बेतुके नियमों के साथ प्राधिकरण ने कंपनी को कैसे टोल रोड़ बनाने और टोल टैक्स वसूलने का अधिकार दे दिया। डीएनडी पर तत्काल प्रभाव से टोल टैक्स बंद किया जा चुका है। ये जानकारी गुरूवार को फोनरवा के अध्यक्ष एनपी सिंह और महासचिव ए.एन धवन ने दी। वे सेक्टर-52 फोनरवा कार्यालय में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने अनुच्छेद-13 पर सवाल उठाते हुए कहा कि, तीन लोगों की कमेटी में दो लोगों की सहमति पर टोल टेक्स बढ़ाया जा सकता है। जबकि दोनों लोग टोल कंपनी के अपने ही है। इसमें नोएडा प्राधिकरण की सहमति या असहमति को कोई असर पड़ेगा ही नहीं। इसके साथ ही अनुच्छे-14 में बीस प्रतिशत की नियमित मुनाफे की शर्त पर भी प्रश्न उठाया है। अनुबंध में लगाया गया बीस प्रतिशत नियमित मुनाफे की शर्त ही गलत है। इसका अनुबंध में होने का कोई औचित्व नहीं है। महासचिव ए.एन धवन ने बताया कि कंपनी मार्च 2015 तक 9 सौ 75 करोड़ रुपये की आय अर्जित कर चुकी है। इसमें डीएनडी प्रबंधन के मनमाने खर्च के बाद भी कंपनी को करीब ढ़ाई सौ करोड़ का मुनाफा हुआ है। इसके बावजूद कंपनी अपने आपको घाटे में बता रही है। कंपनी ने खर्च में बताया कि हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के लिए अधिवक्ताओं को उसने 196 करोड़ रुपये फीस दी है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश तिवारी ने बताया कि डीएनडी कंपनी से शुरू से ही नियमों का उल्लंघन किया है। फोनरवा ने ही पहली बार डीएनडी के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की है। पहली जनहित याचिका भी नवंबर 2012 में फोनरवा ने ही डाली थी। सुप्रीम कोर्ट में केविएट दाखिल कर दी है। फोनरवा के उपाध्यक्ष व प्रवक्ता राघवेंद्र दुबे ने बताया कि फोनरवा द्वारा किए गए प्रयास से आए हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब सभी लोग और सामाजिक संगठन श्रय लेने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोग राजनीति लाभ लेने के लिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
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