23/11/2016 / नोएडा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट अमान्य घोषित किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा शहर में इन दिनों राजनीतिक दल एटीएम और बैंकों के बाहर सक्रिय नजर आ रहे हैं। इसके पीछे कारण यह नहीं की विभिन्न दलों के ये नेता यहां नोट बदलने के लिए आए हैं या एटीएम से नोट निकाल रहे हैं। दरअसल ये नेता और कार्यकर्ता नोटबंदी के बाद एटीएम और बैंकों के बाहर लंबी कतारों में खड़े लोगों को जल-पान मुहैया करा रहे हैं, जिससे कतारों में लगे लोगों को परेशानी ना हो।
हांलांकि जनता की राय इससे बिल्कुल ही विपरीत नजर आती है। जनता की राय में कतारों में लगे लोगों को चाय-नाश्ता मुहैया कराकर नेता यूपी में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं और इस प्रकार से वोटों को अपने पक्ष में करने की आस कर रहे हैं। वहीं इस कार्य को राजनीतिक दलों के नेता केवल जनता की सेवा करार दे रहे हैं। आम जनता का कहना है कि आने वाले दिनों में इन नेताओं को अपने लिए या फिर पार्टियों के लिए हम से ही वोट मांगनी पड़ेगी। इसलिए अभी से नेता जनता की सेवा में हाजिर हो गए हैं।
पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद हालांकि अभी तक कुछ पार्टी के नेताओं व समाजसेवकों ने ही जनता के लिए जल-पान की व्यवस्था की थी। इस दौरान उनका कहना था कि वे केवल सेवा कर रहे हैं। लाइन में कई घंटों तक खड़े होने के चलते लोग पानी के लिए भी तरस जाते हैं। लोग सुबह ठंड होने के बावजूद कंबल में आकर लाइन में लग जाते हैं। इसलिए जनता की परेशानी को देखते हुए यह व्यवस्था की गई है। जानकारों की भी इस मामले में अपनी अलग राय है। जानकारों के अनुसार हर व्यक्ति किसी भी उम्मीदवार को वोट देने के लिए स्वतंत्र है और वह वोट भी अपने हिसाब से ही देता है। वोट डालने के लिए जाति, पैसा, विकास धर्म और देश कोई भी आधार हो सकता है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि संकट में की गई मदद निश्चित रूप से आने वाले समय में वोट का आधार बन सकती है।