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चन्द्र घण्टा माँ को क्या चढ़ाय क्या नही ??

शनिवार से वासंतिक नवरात्र शुरू हो चुका है। यह पर्व 14 अप्रैल तक पड़ने वाली रामनवमी तक मनाया जाएगा। हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्‍वरूपों की आराधना की जाती है। इस दौरान मां को प्रसन्‍न करने के लिए धूप-दीप, नैवेद्य और मंत्रों से मातारानी की पूजा की जाती है। तीसरा दिन मां चंद्रघण्‍टा को समर्पित होता है।

1 ऐसा है मां का स्‍वरूप

मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघण्‍टा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं। मां के इस स्‍वरूप का वाहन सिंह है।
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2 होती है मनोकामना पूरी

मां चंद्रघण्‍टा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं दूर हो जाती हैं। मां की आराधना से सभी तरह के कष्‍ट दूर हो जाते हैं। मां के इस स्‍वरूप की उपासना से उपासक निर्भयी हो जाता है। साथ ही मां अपने भक्‍तों के कष्‍ट का अतिशीघ्र निवारण कर देती हैं। मां चंद्रघण्‍टा की पूजा करने से प्रेतबाधा का भय नहीं रहता। भक्‍त के जीवन में सुख और शांति का संचार होता है।

3 मां चंद्रघण्‍टा का इन मंत्रों से करें ध्‍यान

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्दघण्टेति विश्रुता।।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढाचन्द्रघंटायशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

4 तीसरे दिन इसलिए करते हैं मां चंद्रघण्‍टा की पूजा

मां चंद्रघण्‍टा की पूजा के पीछे कारण यह है कि माता का पहला और दूसरा रूप तो भगवान शिव को पाने के लिए है, जब मां भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त कर लेती हैं तो आदिशक्ति रूप में आ जाती हैं। देवी पार्वती के जीवन की तीसरी बड़ी घटना के रूप में उन्हें अपना प्रिय वाहन बाघ प्राप्त होता है। यही वजह है कि माता बाघ पर सवार हैं और अपने आदिशक्ति रूप में भक्तों को दर्शन देकर अभय प्रदान करती हैं।

देवी चंद्रघण्‍टा को ये है पसंद

देवी चंद्रघण्‍टा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे (ग्रे) रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इसके अलावा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसलिए सुनहरे रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है। मां को सफेद वस्‍तुओं का भोग लगाएं। इसमें दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा शहद का भी भोग लगा सकते हैं।

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