लखनऊ : उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी के नाम पर एक बार फिर से ओपी सिंह के नाम पर मुहर लग गई है 20 दिन बाद भी ओपी सिंह के यूपी के नए डीजीपी का पद कार्यभार ना संभाले जाने के बारे में प्रमुख सचिव गृह ने कहा था कि उनके पास इस बात कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. सूत्रों का कहना था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ओपी सिंह को कार्यमुक्त करने से जुड़ी फाइलों को काफी दिनों पहले ही पीएमओ को भेज दिया था, लेकिन पीएमओ ने इस फाइल को हरी झंडी नहीं दी गई. केंद्र सरकार की ओर से कार्यमुक्त ना किए जाने के कारण ओपी सिंह अपने नए पद को ज्वाइंन करने के लिए नहीं पहुंच पाए.
22 जनवरी को संभालेंगे पद
आगामी 22 या 23 जनवरी को ओपी सिंह यूपी के नए डीजीपी के पद का कार्यभार संभाल सकते हैं. शनिवार को केंद्र सरकार उन्हें कार्यमुक्त कर देगी. सूबे के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें इस पद की जिम्मेदारी सौंपी जानी है. ओम प्रकाश सिंह 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. पुलिस महकमे और जनता के बीच इस IPS अफसर की पहचान एक नरम अफसर के रूप में है. वे जनता की सेवाभाव के लिए जाने जाते हैं. पुलिस महकमे के लोग बताते हैं कि एसपी और एसएसपी रहते हुए भी ओपी सिंह की प्राथमिकता क्रिमिनल को सजा दिलाने से ज्यादा उसे दोबारा से अच्छे रास्ते पर लाने की रहती थी. ओपी सिंह को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के करीबियों में माना जाता है.
ओपी सिंह ने इन कामों में दिया था योगदान
ओपी सिंह मूल रूप से बिहार के गया जिले के रहने वाले हैं. सेंट जेवियर्स कॉलेज, नेशनल डिफेंस कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त ओमप्रकाश सिंह आपदा प्रबंधन में एमबीए के साथ एम.फिल डिग्रीधारी हैं. आपदा राहत बल (NDRF) के महानिदेशक के तौर पर ओपी सिंह ने जम्मू-कश्मीर में आयी बाढ़, नेपाल में आये विनाशकारी भूकंप, हुदहुद तूफान तथा चेन्नई के शहरी इलाकों में आयी बाढ़ की विभीषिका से निपटने के लिये सराहनीय कार्य किये थे. वर्ष 1992-93 में लखीमपुर खीरी जिले के पुलिस अधीक्षक पद पर रहते हुए उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों पर सख्ती से लगाम कसी थी. इसके अलावा लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पद पर काम करते हुए उन्होंने धार्मिक जुलूसों को लेकर अर्से पुराने शिया-सुन्नी विवाद को सुलझाने में अहम भूमिका निभायी थी. सिंह को उत्कृष्ट सेवा के लिये गैलेंट्री अवार्ड समेत कई पदक भी मिल चुके हैं.