भारतीय रेलवे अब ओवरनाइट इंटरसिटी ट्रेनों की रफ्तार 200-250 किलोमीटर प्रति घंटा करने की योजना बना रहा है। इस साल अप्रैल में हाई स्पीड कॉरिडोर्स की घोषणा होने वाली है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे बोर्ड को निर्देश दिया है कि वो ऐसे कॉरिडोर की पहचान करें और इसपर आने वाले खर्च को आधा करने पर काम करें। रेलमंत्री की योजना अप्रैल में 10,000 किलोमीटर के नए हाई-स्पीड कॉरिडोर की घोषणा करना है जिस पर कि 200-250 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेने दौड़ाई जा सकें। योजना यह है कि ट्रेन अपने गंतव्य स्थान पर समय से पहुंच जाए जिससे कि यात्री को ऑफिस पहुंचने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
एक अधिकारी ने बताया कि रेलवे हाई-स्पीड कॉरिडोर को बनाने में आने वाली लागत को आधा करने पर काम कर रहा है। इस समय प्रति किलोमीटर हाई-स्पीड कॉरिडोर बनाने में 100 करोड़ रुपए का खर्च आता है। रेलवे की कोशिश है कि वह इसे घटाकर आधे या उससे कम पर ले आए। इसके लिए कई योजनाओं पर काम जारी है। जिसमें सिंगल पिलर पर दो ट्रैक का कॉरिडोर बनाना और रेलवे की मौजूदा जमीन पर नए ट्रैक बिछाने की योजना शामिल है।
सीनियर अधिकारी ने कहा- इससे भूमि अधिग्रहण की कीमत में कमी आएगी जो कि नया कानून आने के बाद से किसी भी प्रोजेक्ट पर आने वाला सबसे ज्यादा खर्च है। इस समय मुंबई और पुणे के बीच चलने वाली इंटरसिटी ट्रेन तीन घंटे का समय लेती है। अगर इस यात्रा के समय को कम करके एक या डेढ़ घंटे तक कर दिया जाएगा तो उम्मीद है कि यात्री हाई-स्पीड ट्रेनों को चुनेंगे।