7/10/2016/नोएडा।सेक्टर-21ए स्थित नोएडा स्टेडियम में श्रीराम मित्र मंडल की तरफ से आयोजित रामलीला में आज केवट संवाद, सूर्पणखा प्रसंग, खरदूषण वध आदि प्रसंगों का मंचन किया जायेगा ।जिसमे जिलाधिकारी एन.पी सिंह दीप प्रज्जवलित कर सातवें दिन रामलीला मंचन की शुरूआत की जाएगी । मंचन में दिखाया जाएगा कि भगवान राम सीता व लक्ष्मण के साथ गंगा तट पर पहुचेगे , जहां पर भक्त केवट और भगवान राम का सुंदर संवाद होता है। और भगवान राम गंगा तट पर पहुंचकर केवट से नाव मांगते हैं। ‘मागी नाव न केवटु आना, कहई तुम्हार मरमु मैं जाना’।
लेकिन केवट नाव नहीं लाता हैं और कहते है कि प्रभु में आपके मर्म को जानता हूं। जिस तरह आपके चरण रज का स्पर्श पाते ही पत्थर की शिला सुंदर नारी बन गई। अगर मेरी नाव भी स्त्री बन गई तो मेरी रोजी रोटी चली जाएगी। यदि आपको गंगा के पार उतरना हैं तो मुझे अपने पैर धोने दे। मुझे गंगा पर उतरने की कोई कीमत नहीं चाहिए। प्रभु आप भी मल्लाह ही हैं। आप भाव सागर के पार उतारते हैं और मैं गंगा के पार उतारता हूं। केवट कहते है कि प्रभु मैं आपको गंगा के पार उतार देता हूँ, आप मुझे भव सागर के पार उतार देना। यह कहकर वह प्रभु के चरण धोने लगते हैं। चरण धोने के बाद अपने परिवार सहित चरणोदक को पीकर भगवान राम को सीता व लक्ष्मण सहित गंगा के पार उतार देते हैं।
भगवान राम सीता, लक्ष्मण व निषाद राज के साथ प्रयागराज में भारद्वाज मुनि के आश्रम पहुंचते हैं। यहां ठहरने के बाद मुनि से विदा लेकर चित्रकुट में वाल्मीकि के आश्रम में चले जाते हैं, जहां पर भरत, सुमंत्र, शत्रुध्न व मां कैकई के साथ राम को मनाने पहुंचते हैं। लेकिन राम पिता की आज्ञा के कारण वन से अयोध्या वापस नहीं जाते, तब भरत उनकी चरण पादुका लेकर अयोध्या वापस आ जाते हैं। अगले दृश्य में भगवान श्रीराम भ्राता लक्ष्मण व सीता के साथ पंचवटी में पहुंचते हैं जहां पर वह पर्णकुटी बनाकर रहने लगते हैं। वहां पर रावण की बहन सूर्पणखा आती हैं। वह कामातुर होकर राम व लक्ष्मण से विवाह के लिए कहती हैं। उनके मना करने पर वह भयंकर रूप धारण कर लेती हैं। क्रोध में लक्ष्मण उसके नाक कान काट लेते हैं। यह सब सुनकर खर, दूषण, त्रिसरा आये और उन्होंने राम व लक्ष्मण के साथ भयंकर युद्ध किया। जिसमें भगवान श्रीराम ने उन तीनों को मारकर परम धाम पहुंचा दिया। श्रीराम मित्र मंडल के प्रवक्ता राघवेंद्र दुबे ने बताया कि 8 अक्टूबर को रावण सभा, मरीचि वध, सीता हरण, बाली वध आदि लीलाओं का मंचन किया जाएगा।