14/09/2016/नोएडा। आईटीबीपी के 39वीं वाहिनी में चल रहे हिंदी पखवाड़े का बुधवार को समापन हो गया। वाहिनी में 1 सितंबर से 14 सितंबर तक हिंदी पखवाडे़ के दौरान विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के प्रति जागरूकता और उसके प्रयोग में गति लाने के लिए वाहिनी परिसर में हिंदी आलेख, कार्यालयी शब्दज्ञान, हिंदी में नोटिंग-ड्राफ्टिग, हिंदी निबंध, हिदी टंकण प्रतियोगिता, हिंदी वाद-विवाद और हिंदी कविता-पाठ प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। प्रतियोगिताओं में विजेता जवानों को वाहिनी कमांडेंट ने नकद पुरस्कार और प्रमाण-पत्र से सम्माानित किया।
कमांडेंट राजेश कुमार तोमर ने कहा कि हिंदी अपने जन्मकाल से ही एक मिली-जुली संस्कृति की अभिव्यक्ति का एक सफल माध्यम रही है। संतो, गुरूओं और सुफियो की भाषा हिंदी थी। जिससे वे देश के कोने-कोने में घूमकर अपना संदेश हिंदी में देते थे। देश की आजादी के लिए लड़ने वाले सेनानियों ने भी अपने विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी का आश्रय लिया था। इसलिए आजादी के बाद 14 सितंबर 1949 को भारत के संविधान में हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया।
राजभाषा अधिकारी विपिन ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में हिंदी में कार्य करने पर हमे गर्व होना चाहिए। हिंदी में काम करना सरल है और सभी प्रकार के सरकारी कार्यो में इसका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है। सूचना क्रांति के इस दौर में अब इन्टरनेट, ईमेल और पोर्टल आदि पर हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग बढ़ गया है। हिंदी जनसमुदायों के बीच संपर्क भाषा के रूप में कार्य करने के साथ-साथ अंतर राष्ट्रीय स्तर पर भी तेजी से अपनी पहचान बना रही है।